जैसे आप सब जानते हैं कि कादियां मे आयुर्वेदिक अस्पताल कि माग लंबे समय से मांगी जा रही है जिसमे यह मांग स्थानीय शासन प्रशासन तक पहुंचाई गई बल्कि केन्द्रीय सरकारों तक भी पहुंचाई गई।
मांग पर चर्चा और हल
- सबसे पहले यह मांग माननीय डेप्यूटी कमिशनर श्री हिमांशु अगगर्वल जी के सपक्ष रखी गई
- जिस पर अधिकारी जी ने इसको जिला आयुर्वेद अधिकारी को मार्क करके इस पर तुरंत कारवाई करते हुए एक सर्वे/इन्वेस्टगैशन करवा कर रिपोर्ट देने के लिए कहा था।
- किन्तु उत्तर मे कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ। आयुर्वेद अधिकारी से बार बार बात करने पर उत्तर योग ए विषय मे प्राप्त हुआ जो आप पिछले पोस्ट मे पढ़ सकते हैं ।
- आम आदमी पार्टी के नेता अधिवक्ता श्री जागरूप सिंह सेखवां जी को मांग करते हुए इस पर कारवाई के लिए कहा गया।
- उन्होंने इस मुद्दे को हाई कमान के पास रखा है ऐसा बताया ।
- डायरेक्टर हेल्थ एण्ड फॅमिली वेल्फेर के समक्ष रखा जहां उन्होंने इस मुद्दे को आयुर्वेद विभाग के पास भेज दिया
- आयुर्वेद विभाग द्वारा इस विषय पर पुनः जिला अधिकारी के पास भेजते हुए कारवाई के लिए कहा
- जहां जिला आयुर्वेद अधिकारी ने पुनः यहाँ कादियां मे आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी हैं लिख कर मामला बंद कर दिया
- इस मुद्दे को स्वास्थ्य मंत्री पंजाब के पास भेजा गया यहाँ से पुनः इसको आयुर्वेद विभाग मे भेज दिया गया
- आयुर्वेद विभाग ने पुनः जिला आदिकारी के पास और मुद्दा वहीं खतम
- इस विषय को मुख मंत्री कार्यालय भेजा गया।
- यहाँ से इसको जिला आयुर्वेद अधिकारी को भेजा गया फिर वही उतर ।
- जिसके पश्चात इसको उच्च अधिकारी अमित जी जो कि असिस्टेंट कमिशनर हैं को भेजा गया उत्तर वही प्राप्त हुआ
- अब उनसे उच्च अधिकारी को भेजा गया है जो कि हिमांशु अगगरवाल जी हैं
जहां से हमने शुरुआत कि थी वहीं आकर फिर पहुँच गए हैं इसका क्या मतलब कि जनता कि कोई सुनवाई नहीं अथवा अधिकारी करना नहीं चाहते । अथवा सीधे तौर पर यह गैर आयुर्वेदिक सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है ।
इसमे क्या कोई राजनैतिक लाभ अथवा व्यक्तिगत लाभ तो नहीं ?
अगर डिस्पेंसरी से काम चलता होता तो हम कोई अनपढ़ नहीं जो अस्पताल कि मांग करते । आखिर अस्पताल भी हमारे ही पैसों से बनना है ।
क्यों मांग रहें हैं अस्पताल ?
- हम अंग्रेजी दवाओं के सेवन से बच कर आयुर्वेदिक उपचार के माध्यम से लोगों के जीवन को सुखद एवं सरल बनाना चाहते हैं तांकी उनको कम से कम बीमारियाँ लगे और बेहतरीन और उचित उपचार मिले जिससे जीवन स्वस्थ रहे ।
- अंग्रेजी दवाएं लेना अथवा आयुर्वेदिक दावा लेना यह हमारा सांविधानिक अधिकार है अतः हम चुन सकते हैं हमे कौन सी पद्दती से उपचार लेना है।
- स्वास्थ्य सेवाएं राज्य सरकार का विषय है।
- वर्तमान मे आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी का समय सप्ताह मे 3 दिन है और जो सुबह 10 बजे से 3 बजे तक रहता है। अब विषय है अगर कोई सुबह बीमार पढ़ जाता है तो दवा के लिए दिन और समय दोनों कि प्रतीक्षा करें। अथवा प्राइवेट मे जाएं। प्राइवेट उपचार मे 100% आयुर्वेदिक उपचार नगर मे उपलब्ध नहीं और यहाँ है वो बहुत महंगा है जो आम आदमी के हाथ नहीं आता।
- वर्तमान डिस्पेंसरी कि एक सचाई यह है कि डिस्पेंसरी कादियां नगर के बीचों बीच हुआ करती थी जीसे नगर से 2 किलोमीटर बाहर सरकारी अस्पताल लीलकलां रोड पर ले जाया गया जहां जाना ही अपने आप मे एक समस्या है।
- न जाने आने के लिए जन साधन उपलब्ध हैं
- रिक्शा एक तरफ के कम से कम 50 रुपये लेते हैं जिससे उपचार से महंगा तो आना जाना है
- शाम-रात्री मे कोई डॉक्टर उपलब्ध नहीं तो उपचार कहाँ से लें
- एक बार रिक्शा से जाने पर आने के लिए देरी होने पर रिक्शा नहीं मिलता आसानी से यां अधिक देर रुकने के लिए अधिक पैसे दें ।
- एक बीमार व्यक्ति डिस्पेंसरी इलाज के लिए जाता है और डॉक्टर उपलब्ध नहीं होता तो उसके पास आयुर्वेदिक उपचार का विकल्प भी समाप्त होने लगता है।
- अगर वापिस आएगा तो पैसे तो लगे परंतु इलाज नहीं मिला
- अगर वहाँ से अंग्रेजी दवा ले लेता तो विकल्प और अधिकार का हनन
सभी नगर वासियों से अनुरोध है अपनी चेतना का प्रयोग कर अपनी वोटों का इस्तेमाल करें और अग्रिम वोटों से पहले एक अच्छे अस्पताल की शर्त सबके समक्ष रखें और लिखीत मे अष्टाम पेपर पर लें।